2025 के मौसम को देखते हुए कई संस्थानो और कई कृषि वैज्ञानिको ने कई अच्छी वैयराटी की सिफारिश की है।
अगर आप एक अच्छी फसल और ज्यादा उत्पादन और कम रोग और कम सिचाई से एक अच्छी फसल उत्पादन करना चाहते है। तो निचे दिए गई गेहुं कि वैयराटी आपके लिए अच्छी साबीत हो सकती है।
1. HD-3086 गेहुं कि वैयराटी
उपज क्षमता- आप इस किस्म से एक बिघा जमीन पर 10 से 12 क्विंटल कमा सकते है।
विशेषता- इस गेहुं कि वैयराटी मै बिमारी से लड़ने कि ताकत होती है। आमतौर पर पीला रतुआ और झलसा इसे ज्यादा असर नही कर पाते है।
इलाका- इस वैयराटी को आमतौर पर पंजाब, हरीयाण, पश्चिम उत्तर प्रदेश, और राजस्थान जैसे राज्यो मे किए जाते है।
बोने का समय- इस किस्म को बोने का सही समय 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच का समय सही होता है।
किसानो का अनुभव- राजस्थान के किसी किसान भाई ने बताया हे कि उन्होंने पहली बार HD 3086 गेहुं कि वैयराटी लाए थे। अब कि बार उस किसान कि पिछली खेती से 6 या 7 क्विंटल ज्यादा उत्पादन हुआ है। ये किसान भाई अभी टोंक मे रहते है।
2. DBW-187 (Karan vandana)
उपज - अगर आप सही तरीका अपनाकर इस किस्म की फसल करते है। तो आप इस किस्म से करीब 48 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज आप पा सकते हौ।
खास बात - आप इस धान की फसल को 110 या 115 मे पकाकर काट कर आप कम समय मे दुसरी फसल भी तयार कर सकते है।
खास इलाको के लिए बनी है - इस फसल का उत्पादन ज्यादातर पूर्वी भारत के क्षेत्र मे कि जाती है।
बिहार
झारखंड
पश्चिम बंगाल
इन इलाको मे मिट्टी इस किस्म की फसल के लिए अनुकूल है।
3 WH-1105
बढिय उपज देती है - इस किस्म से आप प्रति हेक्टेयर से आप 50 से 65 क्विंटल तक उपज कमा सकते है। सही देखभाल और सही से इस फसल को किया जाए तो आप ज्यादा भी कमा सकते है।
समय - इस फसल को आप 140 से 150 दिन मे कमा सकते हो।
बिमारीयो से लड़ने कि क्षमता - इस किस्म मे रतुआ और झुलसा जैसी आम रोग से लड़ने कि क्षमता होती है।
अगर आपके खेत मै इस तरह कि बिमारीया हो रही है तो आप इस किस्म को जरूर युज कर सकते है।
कैसे चुनाव करे सही फसल का
• आपके क्षेत्र का मौसम कैसा है ?
• सिचाई कि सुविधा कितनी है ?
• बिज कहा से मिल सकता है। सरकारी केन्द्र या प्राइवेट
• आपकी मिट्टी किस प्रकार कि है।
निष्कर्ष: 2025 में ज्यादा उपज देने के लिए HD-3086, DBW-187 और WH-1105 जैसी गेहूं की किस्में किसान भाइयों के लिए फायदे का सौदा हो सकती हैं। आप अपने इलाके के कृषि अधिकारी या कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करके और सटीक जानकारी ले सकते हैं। साथ ही, सरकारी सब्सिडी और बीज योजना का भी लाभ ज़रूर उठाएं।
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